BLURB "अंधेरे से दोस्ती की, तन्हाई ने साथ दिया, तुम ढूँढते रहो .ख़ुदा बाहर, मैंने अपने अन्दर ही .ख़ुदा ढूँढ लिया।” मैं आपके बीच का ही एक नवयुवक हूँ जो हर मनुष्य की तरह भौतिक सुख की लालसा रखता है। सुख और सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। आज जहाँ पूरी दुनिया आध्यात्मिक सुख ढूँढने में लगी है, मैं पहले भौतिक सुख प्राप्त करने की पैरवी करता हूँ। मैं यह बात प्रखरता से मानता हूँ कि भौतिक सुख के बिना आध्यात्मिक सुख की बात वैसी ही होगी जैसे आप किसी भूखे व्यक्ति को भोजन न देकर, ज्ञान देने लग जायें। यह बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। भौतिक सुख और आध्यात्मिक सुख, आपके भीतर विद्यमान परमात्मा या .ख़ुदा आप जो भी नाम दें, को जाने बिना नहीं मिल सकता और परमात्मा या .ख़ुदा को आप तब तक नहीं जान सकते जब तक आप अपने मन की नहीं सुनते और आप अपने मन की तब तक नहीं सुन सकते जब तक आप पूरी तरह से जाग न गये हों और आप तब तक नहीं जाग सकते जब तक की कोई जगाने वाला न हो या आप .ख़ुद अपने आप न जाग जायें और आप जागे...